सुरता :
एक जमाना रहिस जब सत्तर – अस्सी के दसक म आकासवाणी ले छत्तीसगढ़ी के लोकप्रिय गीत ‘बैरी-बैरी मन मितान होगे रे, हमर देस मा बिहान होगे रे’ जब बाजय त सुनईया जम्मा छत्तीसगढ़िया मन ये गीत के संगे-संग गुनगुनाये लागंय। ये गीत के गायक के भरावदार गला अउ सुमधुर कोरस के संग पारंपरिक संगीत ला सुनके रद्दा रेंगईया मन गीत सुने बर बिलम जावंय। अइसन आवाज के धनी गायक अउ संगीतकार के नाम रहिस, केदार यादव, जउन ला छत्तीसगढ़ी के मोहम्मद रफी कहे जाथे। केदार यादव के संगीत साधना के रद्दा मा पहिली पड़ाव दाउ रामचंद्र देसमुख के चदैंनी गोंदा रहिस जेमा स्वर अउ संगीत म केदार यादव जी सहयोगी रहिस। लोक संगीत म केदार के प्रतिभा ला देख के मतवारी वाले दाउ महासिंग चंद्राकर ह अपन सोनहा बिहान ला केदार यादव के संगीत संग भव्य रूप मा प्रस्तुत करिन। सोनहा बिहान ले केदार यादव के गीत-संगीत के सुगंध हा चारोमुडा महर महर महके लगिस। छत्तीसगढ़ी भाखा के ये सुमधुर गायक के गाना के लोकप्रियता दिनो दिन बढ़त गीस अउ दया-मया के गीत गवईया केदार यादव के गीत मन छत्तीसगढ़ म छा गे। किसन गंगेले जी हा केदार के गला म मोहा के दुर्ग आईस अउ उंखर गीत मन के रिकार्डिंग करवाईस। तहां ले, आकासवानी म केदार के गीत सरलग बाजे लागिस, सबके जुबान मा कवि मुकुन्द कौशल के गीत अउ केदार यादव के सुर के जादू छाये लागिस।
सोनहा बिहान के बगरे के बाद केदार यादव ह अपन कला परेमी संगी अउ कवि मुकुंद कौशल के संग नवा बिहान नाम के एक मंच ला आकार दिस। केदार के नवा बिहान के प्रस्तुति प्रदेस सहित देस के कतको गांव-सहर म होईस, गीत- संगीत ले छत्तीसगढ़ के संस्कृति अउ परंपरा देस भर बगरे लागिस। केदार यादव के गीत के लोकप्रियता ला देख के एचएमवी वाले मन मुम्बई म तवा रिकार्डिंग करिन जउन हा छट्ठी-छेवारी, बिहाव-पठौनी मा गांवो-गांव बाजे लागिस। छत्तीसगढ़ी भाखा के मान बढ़ाये खातिर केदार यादव के गाये गीत ‘मोर भाखा संग दया मया के सुघ्घर हवय मिलाप रे अइसन छत्तीसगढिया भाखा कोनो संग झन नाप रे’ हा हमर प्रदेस व भाखा आन्दोलन के माई गीत बनके उभरिस। छत्तीसगढ़ के मेहनती मजदूर-किसान के जीवन के गीत ‘धर ले रे कुदारी गा किसान, आज डिपरा ला खनके डबरा पाट देबो’ अउ ‘मोर चलव रे बईला नांगर मे’ जइसे गीत मन म केदार भईया जन-जन के मन मा नवा बिहान के उमंग जगाइस, केदार के गाये ये गीत मन ओ समे म गांव-सहर के जागरन गीत बनके उभरिस। ‘लीम के डंगाली चढ़े करेला के नार, ठगुआ कस पानी हा ठगे हे मूड धर बईठे किसान’ जईसे गीत म किसान के दुख दरद ला बांटिस। खेती-किसानी के संगे-संग जिंनगी के दया-मया के गुर मा पागत ‘तैं अगोर लेबे रे संगी संझा के बेरा कुंआ पार म’ अउ मया के लाटा म लपटाये परेम गीत ‘तैं बिलासपुरहिन अउ मैं रइगढिया, तोर मोर जोड़ी बने हे सबले बढिया’, ‘तें हा आ जाबे मैंना उड़त उड़त तैं हा आ जाबे’, अउ ‘तोर रूप गजब मोला मोहि डारिस’ जईसे गीत गाईस।
छत्तीसगढ़ के मनखे मन के हिरदे म बसे केदार यादव अपन मंच नवा बिहान म अपन पत्नी श्रीमती साधना यादव अउ जयंती यादव, ममता चंद्राकर, निर्मला बेलचंदन, लक्ष्मी शर्मा, भीखम धर्माकर, कुलेश्वर ताम्रकार, जयंती यादव, मिथलेश जइसे नवा गायक मन ला आघू बढ़ाईस ये लोक कलाकार मन बाद म अड़बड़ नाम कमाईन। कवि मुकुन्द कौशल के दुबई चल देहे के बाद नवा बिहान के कलाकार संगी मन धीरे-धीरे बगरे लागिन, एखर बाद केदार यादव के नवा बिहान हा फेर खड़ा नई हो पाईस। धुन के पक्का केदार समय के संग समझौता नई कर पाईन। चवालीस बरिस ले लोकगायन म अपन डंका बजावत सन् 1996 म केदार भाई के असमय मौत होगे।
संजीव तिवारी
Badiya